युवाउमंग में पढ़िए

मंगलवार, 20 नवंबर 2007

शुभ दिन

शुभ दिन!

हर दिन, हर पल को शुभ मानें, शुभ दिन और शुभ पल का इंतजार न करें। हर सेकंड, हर पल का महत्व समझते हुए उसका पूरी योजना बनाकर सदुपयोग करें। इसके लिए न किसी ज्योतिषी के पास जाने की जरूरत है न शुभ मुहूर्त का इंतजार करने की। आपके आगे बढ़ने में सिर्फ स्वयं आपके ही प्रयास काम आएंगे।

तो अब देर किस बात की, आज और अभी से शुरू कीजिए कार्य योजना बनाकर समय का भरपूर सदुपयोग। आपके ज्ञान, कौशल, योग्यता, एकाग्रता आदि में श्रीवृद्धि हो और आपका व्यक्तित्व पूर्ण बने जिससे आपके भावी जीवन में उन्नति और सुख-समृद्धि आये। आप सभी मित्रों को युवाउमंग और मेरी ओर से बहुत-बहुत शुभकामनाएं!
*********************************************

वन्दे मातरम्


वन्दे मातरम्

सुजलाम् सुफ़लाम् मलयज शीतलाम्

शस्य श्यामलाम् मातरम्॥

वन्दे मातरम्

शुभ्र ज्योत्सनाम् पुलकित यामिनीम्

फ़ुल्ल कुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्

सुहासिनीम् सुमधुर भाषिणीम्

सुखदाम् वरदाम् मातरम्॥

वन्दे मातरम्

कोटि कोटि कण्ठ कलकल निनाद कराले

कोटि कोटि भुजैर्धृत खरकरवाले

अबला केनो माँ एतो बले

बहुबल धारिणीम् नमामि तारिणीम्

रिपुदल वारिणीम् मातरम्॥

वन्दे मातरम्

तुमि विद्या तुमि धर्म

तुमि हृदि तुमि मर्म

त्वम् हि प्राणः शरीरे

बाहु ते तुमि माँ भक्ति

तोमाराइ प्रतिमा गडि मन्दिरे मन्दिरे॥

वन्दे मतरम्

त्वम् हि दुर्गा दशप्रहरण धारिणी

कमला कमलदल विहारिणी

वाणी विद्या दायिनी, नवामि त्वाम्, नमामि कमलाम्

अमलाम्, अतुलाम्, सुजलाम्, सुफ़लाम्, मातरम् ॥

वन्दे मातरम्

श्यामलाम्, सरलाम्, सुस्मिताम्, भूषिताम्,

धरणीम्, भरणीम् मातरम्

वन्दे मातरम्

1 टिप्पणी:

युवाउमंग