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शनिवार, 9 मई 2009

बनें कार्टूनिस्ट

कार्टूनिस्ट बनकर कमाइए धन और यश


अनेक लोगों के मस्तिष्क में कार्टून बनाने लायक विचार प्रायः आते रहते हैं। चूंकि वे कार्टून बनाना नहीं जानते सो रोजाना अनगिनत कार्टूनी विचारों की मृत्यु होती रहती है। आपकी रुचि कार्टून बनाने में है और आप रेखांकन करते रहते हैं या करना चाहते हैं तो आपकी राह मुश्किल नहीं है। आप कार्टून कला में निपुण होकर इसे शौक, पार्ट टाइम या फ़ुल टाइम व्यवसाय यानी करियर के रूप में अपना सकते हैं।

कला ही जीवन है-यह निश्चय ही आपने पढ़ा-सुना होगा। भूगोल, इतिहास, रसायन विज्ञान, गणित या किसी अन्य विषय के बारे में ऐसा नहीं कहा जाता। कला की महत्ता को काफी समय पहले ही पहचान कर इसके बारे में कहा गया है। व्यंग्यचित्र यानी कार्टून कला भी कला की एक महत्वपूर्ण विधा है। कार्टून कला के उपयोग के क्षेत्र को आज जैसा विस्तार मिला है वैसा पहले कभी नहीं मिला। लगभग हर उम्र के लोगों में कार्टून बेहद लाकप्रिय है। समार पत्र, पत्रिकाओं, चित्रकथाओं के अलावा टीवी, इण्टरनेट, एनीमेशन, प्रचार सामग्री, पेकेजिंग, पहचान चिन्ह आदि तमाम क्षेत्रों में कार्टून कला का ही बोलबाला है। विभिन्न कार्टून पात्र जनमानस में अपनी अच्छी पैठ बना चुके है।

अनेक लोगों के मस्तिष्क में कार्टून बनाने लायक विचार प्रायः आते रहते हैं। चूंकि वे कार्टून बनाना नहीं जानते सो रोजाना अनगिनत कार्टूनी विचारों की मृत्यु होती रहती है। आपकी रुचि कार्टून बनाने में है और आप रेखांकन करते रहते हैं या करना चाहते हैं तो आपकी राह मुश्किल नहीं है। आप कार्टून कला में निपुण होकर इसे शौक, पार्ट टाइम या फ़ुल टाइम व्यवसाय यानी करियर के रूप में अपना सकते हैं। अनेक कार्टूनिस्ट ऐसे है जो भिन्न क्षेत्र में अच्छे पदों पर कार्य या व्यवसाय करते हुए भी कार्टून कला को अपनाए हुए हैं। अनेक लोग कार्टूनिस्ट के रूप में फुल टाइम या पार्ट टाइम नौकरी या फ़्रीलांस काम कर रहे हैं। एक कार्टूनिस्ट का कार्य उसे इष्ट-मित्रों के साथ-साथ समाज में भी पर्याप्त प्रतिष्ठा दिलाता है।

अधिकांश जानेमाने कार्टूनिस्ट बिना किसी विशेष प्रशिक्षण के निपुण हुए हैं। वैसे भी हमारे यहां कार्टून कला सिखाए जाने का समुचित और विशेष प्रबन्ध नहीं है। यही नहीं, हिन्दी में अच्छी पुस्तकों का भी अभाव है। कार्टून केद्रित पत्रिकाएं भी बहुत कम या कहें न के बराबर हैं। अच्छा कार्टूनिस्ट बनने के लिए वास्तविक चित्रण का ज्ञान होना और निरन्तर अभ्यास करना उपयोगी सिद्ध होता है। इसके लिए लिए किसी योग्य प्रशिक्षक या कला ज्ञाता से प्रशिक्षण लिया जा सकता है। किसी विद्यालय या कला विद्यालय में प्रवेश लेकर कला की विधिवत शिक्षा ली जा सकती है। कला विद्यालयों में प्रायः पेण्टिंग, शिल्प (स्कल्पचर) और अनुप्रयुक्त कला (एप्लाइड आर्ट) का 4 वर्षीय पाठ्यक्रम होता है। हर हाल में नियमित अभ्यास आपको ही करना होगा। चित्रकला और शरीर रचना (एनोटॉमी) सम्बन्धी अच्छी पुस्तकों को देखना-पढ़ना और अभ्यास करना चाहिए।

अपने अवलोकन, फोटो, चित्र आदि की सहायता से रेखांकन करना चाहिए। सादा सफेद कागज पर 2बी या 4बी नम्बर की मुलायम काली पेंसिल हलके हाथ चलाते हुए निर्देशानुसार खूब अभ्यास करना चाहिए। बाद में छपे हुए कार्टूनों को देखकर पेंसिल से बनाएं और काली स्याही होल्डर, पेन, क्रोक्विल, बो पेन, ब्रश, या कलम आदि में से चुनें और उससे कार्टून बनाएं। छपने के लिए कार्टून भेजने से पहले कुछ विशेष बातों का ध्यान रखा जाता है ताकि आपके सभी कार्टून खेद सहित वापस न लौटें।

किसी कार्टून का आधार उसका विचार होता है। कार्टून एक या अधिक सम्वाद या किसी प्रसंग या घटना पर आधारित बिना सम्वाद वाला हो सकता है। हर कार्टूनी विचार को पॉकेट डायरी में तारीख के साथ लिखकर रख लें। अपने पास सदा एक पॉकेट डायरी और पेन या पेंसिल अवश्य रखें।याद रखिए, एक बार गया विचार फिर लौटकर नहीं आएगा। आवश्यकता और मांग के अनुरूप भी विषय या सामग्री आधारित कार्टून या कार्टून चित्र (इलस्ट्रेशन) बनाए जाते हैं।

कुछ लोग कार्टून को आड़ी-तिरछी रेखाओं की प्रस्तुति मानते हैं पर वास्तव में ऐसा नहीं है। एक अच्छे कार्टून में किसी अच्छे चित्र की भांति ही कला के नियमों का ध्यान रख जाता है। कार्टून में वस्तु, पात्र, दृश्य या पृष्ठभूमि या वातावरण आदि का वास्तकि चित्रण की भांति ध्यान रख जाता है। इसके अलावा पात्र या वस्तुओं के वास्तविक जैसे काल्पनिक रूप, दृश्य या वातावरण, सही अनुपात, परिप्रेक्ष्य, आकार, संवाद, हावभाव, संतुलन आदि का पर्याप्त ध्यान रख जाता है। इसी प्रकार कार्टून में रंग भरते समय भी अनेक बातों का ध्यान रखा जाता है। इस प्रकार एक अच्छे विचार की कार्टून के रूप में सही प्रस्तुति की जा सकती है।

कार्टून कला में कम्प्यूटर का उपयोग भी खूब हो रहा है। एक कार्टूनिस्ट के लिए कम्प्यूटर और सम्बन्धित सॉफ़्ट्वेयरों की जानकारी एक अतिरिक्त योग्यता होती है। हाथ से बनाए कार्टून को स्कैन कर या कम्प्यूटर पर ही कार्टून बनाकर उसमें उचित रंग भरना और विशेष प्रभाव दर्शाना भी एक कला है। सभी कार्टून डाक द्वारा या कम्प्यूटर और इण्टरनेट का उपयोग करते हुए ई-मेल द्वारा भेजे जा सकते हैं। ई-मेल सेवा त्वरित और मुफ्त उपलब्ध है।

पत्र-पत्रिकाओं के अलावा एलैक्ट्रॉनिक मीडिया में एक कार्टूनिस्ट को निर्धारित वेतनमान के अनुसार या मोलभाव के बाद अच्छा वेतन मिलता है। अनुबन्ध पर भी कार्टूनिस्ट रखे जाते हैं और पार्टटाइम भी। स्वतन्त्र रूप से कार्टून बनाने पर निर्धारित दर या तय राशि के अनुसार भुगतान किया जाता है। प्रायः कार्टून छपने के 1 से 3 माह के भीतर या कहीं-कहीं स्वीकृंति के साथ ही क्रॉस्ड चैक द्वारा भुगतान किया जाता है। भगतान का तरीका प्रकाशन या प्रतिष्ठान के नियमों के अनुसार ही होता है। अपने कार्य की फ़ोटोकॉपी तारीख सहित अपने पास अवश्य रखनी चाहिए।

दैनिक समाचार पत्र के सम्पादकीय कार्टूनिस्ट के लिए कल्पनाशीलता, किसी सामयिक या समसामयिक घटना या प्रसंग पर त्वरित व्यंग्यात्मक टिप्पणी रेखाओं और आवश्यकतानुसार रंगों के उपयोग द्वारा व्यक्त करना, राजनीति और राजनीतिज्ञों के बारे में पर्याप्त जानकारी रखना, खबरों से नियमित रूप से जुड़े रहना, खूब पढ़ना आदि बातों का होना आवश्यक है।

वर्गीकरण के अनुसार कार्टूनों के प्रमुख प्रकार-
सम्पादकीय कार्टून- समाचार पत्रों के मुख पृष्ठ पर छपने वाले सामयिक-समसामयिक विषयों पर छपने वाले पॉकेट कार्टून और 3, 4 या अधिक कॉलमों में छपने वाले बड़े कार्टून राजनीतिक या सम्पादकीय कार्टून कहलाते हैं।
सामान्य कार्टून और कार्टून स्ट्रिप- समाचार पत्र और विभिन्न पत्रिकाओं में छपने वाले गैर राजनीतिक यानी घरेलू, सामाजिक, व्यावसायिक आदि प्रकार के कार्टून और कार्टून स्ट्रिप सामान्य कार्टून और कार्टून स्ट्रिप होते हैं। ये 1, 2, 3 या अधिक फ्रेम वाले कार्टून होते हैं। इनमें सम्वाद और चित्रों या केवल चित्रों के माध्यम से कार्टूनिस्ट अपनी बात कहता है। एक से अधिक फ्रेम वाले कार्टूनों में पात्रों और वस्तुओं को अलग-अलग कोण व आकार में प्रस्तुत करने में उनकी एकरूपता का ध्यान रखा जाता है।
कॉमिक या चित्रकथा- प्रायः 28 या अधिक पृष्ठों में छपने वाली चित्रकथा में पूरी कहानी चित्र और सम्वादों के द्वारा प्रस्तुत की जाती है। प्राय: चित्रकथा की कहानी और पटकथा लेखक अलग-अलग व्यक्ति होते हैं। यदि कार्टूनिस्ट सक्षम है तो ये काम भी वह स्वयं कर लेता है। कॉमिक प्रायः रंगीन होते हैं। मूल चित्र छपे चित्रों की अपेक्षा कम से कम दो गुने बड़े आकार में बनाए जाते हैं।
इलस्ट्रेशन- किसी लेख कहानी या अन्य सामग्री को सचित्र और प्रभावशाली बनाने के लिए कार्टूनिस्ट से उपयुक्त चित्र बनवाया जाता है।
कैरीकेचर- यह व्यक्तिचित्र होता है जिसमें अक्सर उस व्यक्ति के गुण, कार्य या व्यवसाय, शौक आदि को भी व्यंग्यात्मक रूप में शामिल किया जाता है। कैरीकेचर बनाने के लिए सम्बन्धित व्यक्ति के एकाधिक फोटो की सहायता लेकर या उसे सामने बैठाकर इस प्रकार उसका व्यंग्यचित्र बनाया जाता है कि वह व्यक्ति आसानी से पहचाना जा सकता है। कल्पनाशक्ति का उपयोग करते हुए उस व्यक्ति के चेहरे की बनावट को इस प्रकार तोड़मरोड़कर बदला जाता है कि वह वास्तविक चित्र नहीं रहता पर उसकी पहचान कायम रहती है। प्रायः राजनेताओं, बड़े व्यवसाइयों और प्रसिद्ध व्यक्तियों के कैरीकेचर बनवाकर छापे जाते हैं।
एनीमेशन फिल्म- अधिकांश बच्चे ही नहीं बड़े भी एनीमेशन और कार्टून फिल्मों के दीवाने होते हैं। अनेक कार्टून पात्र उनके मन-मस्तिष्क पर राज करते हैं। 24 घण्टे चलने वाले अनेक कार्टून टीवी चैनल इसका प्रमाण हैं। विज्ञापन फिल्मों में भी कार्टून पात्रों का खूब उपयोग हो रहा है। एक कार्टून फिल्म बनाने में अनेक लोगों की भूमिका होती है। इसके लिए काफी सूझबूझ, निपुणता और पश्रिम की आवश्यकता होती है। श्रम सस्ता होने के कारण हमारे यहां एनीमेशन का काम इतना बढ़ गया है कि आज के समय को एनीमेशन युग कहें तो गलत नहीं होगा। अनेक जानेमाने भारतीय फिल्म कलाकार एनमेशन फिल्में बनाने में जुट गये हैं। जगह-जगह एनीमेशन इंस्टीट्यूट खुल गये हैं।
वेबसाइट- विभिन्न वेबसाइटें और समाचार पोर्टल भी यिमित रूप से कार्टून छापते हैं या अन्य प्रकार से कार्टूनों का उपयोग करते हैं। एक कार्टूनिस्ट अपनी खुद की वेबसाइट बनाकर अपने कार्य के नमूने, पारिश्रमिक की दरें और अपना पूरा परिचय दशाकर देश-विदेश के लिए कार्य करके नाम और दाम दोनों कमा सकता है। अपनी वेबसाइट को दैनिक, साप्ताहिक या अन्य प्रकार से अपडेट करते हुए असंख्य लोगों को अपने बारे में बताया जा सकता है। इसके बारे में किसी जानकार व्यक्ति से पहले पूरी जानकारी लेना ठीक रहता है।
सिण्डीकेटेड कार्टून सेवा- अपने बनाए कार्टूनों को देश-विदेश के अनेक पत्र-पत्रिकाओं को भेजने के लिए एजेंसी आरम्भ की जा सकती है। इसके माध्यम से अन्य कार्टूनिस्टों के कार्टन भी कमीशन के आधर पर भेजे जा सकते हैं। एक सिण्डीकेटेड कार्टून कई पत्र-पत्रिकाओं को बहुत कम दर पर भेजा जाता है। अतः छोटे-बड़े, हिन्दी-अंग्रेजी, राष्ट्रीय-क्षेत्रीय-सभी प्रकार के पत्र-पत्रिकाएं ऐसे कार्टून मंगाकर छाप सकते हैं। प्रायः हमारे यहां विदेशी कार्टून और कार्टून स्ट्रिप खूब छपती हैं।

रोजगार के अवसर
पत्र-पत्रिका व पुस्तक प्रकाशन गृह, विज्ञापन एजेंसियां, वेबसाइटें, एनीमेशन कम्पनियां, एनीमेशन इंस्टीट्यूट, टीवी चैनल, ग्रीटिंग कार्ड व कलेण्डर निर्माता आदि समय-समय पर विज्ञापन देकर कार्टूनिस्टों को बुलाते हैं। कल्पनाशील, समय के पाबन्द, कुशल, अनुभवी, व्यवहारकुशल आदि गुणों को ध्यान में रखते हुए कार्टूनिस्ट का चयन कर नियुक्त किया जाता है। वेतन या पारिश्रमिक पूर्वनिधारित या विशेष परिस्थितियों में अधिक भी दिया जाता है। एक कार्टूनिस्ट के रूप में आरम्भ में कुछ हजार रुपये प्रति माह कमाये जा सकते हैं। निपुणता और अनुभव प्राप्त करने के साथ-साथ अच्छे अवसारों का ध्यान रखा जाए और अपने सम्पर्कों का उपयोग किया जाए तो जल्दी ही अच्छा अवसर मिल सकता है।

कार्टून
पहले विचार के अनुसार 2बी या 4बी नम्बर की काली मुलायम पेंसिल का उपयोग करते हुए सादा सफेद कागज पर रेखांकन किया जाता है। फिर काली वाटरप्रूफ स्याही और ब्रश, होल्डर, क्रोक्विल, पेन, बो पेन, रेपिडोग्राफ, कलम आदि में से एकाधिक का उपयोग करते हुए पर कार्टून बनाए जाते है। रबड़ से पेंसिल की रेखाएं मिटा दी जाती है। आवश्यकतानुसार उनमें उपयुक्त रंग भरे जाते हैं। मूल कार्टून डेढ़-दो गुना बड़ा बनाया जाता है ताकि छपने के बाद वह साफ और अच्छा लगे। कार्टून के एक कोने में कार्टूनिस्ट सुपाठ्य रूप से अपना नाम या हस्ताक्षर अंकित करता है। कार्टून के चारों ओर कागज पर 1 से.मी. या आधा इंच खाली स्थान छोड़ना चाहिए। कार्टून के पीछे भी साफ अक्षरों में अपना पूरा नाम, पता, फोन नम्बर, ई-मेल आदि अवश्य लिखना चाहिए। एक बार में चुनकर 4-5 अच्छे कार्टून भेजने चाहिए। भेजे गये कार्टूनों का विवरण एक कॉपी या रजिस्टर में सुरक्षित रखना चाहिए और उनकी 1-1 फोटो कॉपी भी। अस्वीकृति की स्थिति में कार्टूनों की वापसी के लिए पर्याप्त डाक टिकट-पता युक्त लिफाफा अपने पत्र के साथ संलग्न करना चाहिए। प्रायः 15-30 दिन में स्वीकृति/अस्वीकृति की सूचना मिल जाती है। यदि देर हो जाए ता पूरे संदर्भ के साथ एक स्मरण पत्र भेजना चाहिए। कार्टूनों की स्वीकृति के बाद छपने पर 1-3 माह में नियमानुसार क्रॉस्ड चैक द्वारा भुगतान किया जाता है। कार्टून छपने पर प्राय: सम्बन्धित पत्र-पत्रिका की लेखकीय प्रति भेजी जाती है पर डाक में खो जाने की समस्या को ध्यान में रखते हुए स्वयं एक प्रति खरीद लेनी चाहिए।

कम्प्यूटर का उपयोग करने के लिए उसका आवश्यक प्रशिक्षण ले लेना चाहिए। यह काफी सुविधाजनक और उपयोगी है। इण्टरनेट के प्रयोग से अनेक अन्य सुविधाओं का लाभ मिल जाता है। ई-मेल का उपयोग बेहद आसान, मुफ्त और त्वरित है। अधिकांश जगहों पर इस सुविधा का उपयोग किया जा रहा है।

चित्रकला के विधिवत प्रशिक्षण के लिए समाचार पत्रों में यथा समय विज्ञापन छपते हैं। कला प्रशिक्षण और 4 वर्षीय डिग्री कोर्स बीएफए (बैचलर ऑफ़ फाइन आर्ट्स) करने के लिए महाविद्यालय-
- ललित कला महाविद्यालय (कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स), तिलक मार्ग, नयी दिल्ली-110001
- इंस्टीट्यूट ऑफ़ फाइन आर्ट्स एण्ड डिजाइन, चैन्नेई, तमिलनाडु
- सर जे.जे. स्कूल ऑफ़ आर्ट्स, दादा भाई नौरोजी रोड, मुम्बई, महाराष्ट्र
- फैकल्टी ऑफ़ फाइन आर्ट्स, एम.एस. यूनीर्विसटी, बड़ौदरा, महाराष्ट्र
- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ डिजाइन, पालदी, अहमदाबाद-380007, गुजरात

आपके आसपास स्थानीय या निकट के विद्यालय या कॉलेज में भी कला प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध हो सकती है, इस बारे में जानकारी प्राप्त कर लें। चाहें तो कला की बारीकियां जानने के लिए किसी कला शिक्षक की सेवाएं ले सकते है। इसके अलावा किसी प्राफेशनल कार्टूनिस्ट से भी सम्पर्क कर आवश्यक जानकारी और मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं। भविष्य में भी उनके सम्पर्क में बने रहें।

टी.सी. चन्दर,
कार्टूनिस्ट, नयी दिल्ली

सौजन्य: कार्टून इंस्टीट्यूट

मंगलवार, 7 अप्रैल 2009

दरअसल

मतदान जरूर कीजिए

राजनीतिक दलों के झूंठे एजेंडों को खारिज कीजिए जो आपको लालच में फंसाते हों। उन वादों में मत उलझिए जो ये पूरे ही नहीं कर सकते हों। आप समझ सकते हैं कि इनमें से कई दल और कई नेता ऐसे हैं जो छद्मावरण ओढ़े हुए हैं और इनके कारनामे भरपूर नीचता और बेशर्मी से भरे हुए हैं। इनकी कार्यप्रणालियां आम आदमी को उजाड़ रही हैं। इनकी योजनाएं भी अपना लाभ-हानि देखकर बनती हैं। इनके गठजोड़ों में ऐसे कातिल और समाज और देश विरोधी तत्व शामिल हैं जिन्हें आप अपने करीब लाना भी पसंद नहीं करेंगे।

सौ करोड़ से भी अधिक लोगों के भारत में पंद्रहवीं लोकसभा का चुनाव हो रहा है। इसमें पांच साल से चली आ रही यूपीए की सरकार के कार्यकलापों की समीक्षा से लेकर भविष्य की जिम्मेदारियां निश्चित होंगी। इस चुनाव में भी एक आशंका अपना दबदबा बनाए हुए है और वो यह है कि क्या इस बार भी लोकसभा में किसी एक दल का बहुमत नहीं होगा? यानी क्या आगामी सरकार फिर उसी तरह देशहित के ज्वलंत मामलों पर लोकसभा में राजनीतिक दलों या सदन के एक-एक सदस्य का समर्थन जुटाने के लिए उनके सामने गिड़-गिड़ाएगी? हाथ फैलाएगी? देशहित की बात इस‌लिए कही जा रही है क्योंकि सांसदों और नौकरशाहों के पेंशन, वेतनभत्तों, सुख-सुविधाओं जैसे मामलों पर तो समर्थन जुटाने की जरूरत ही नहीं पड़ती, लेकिन यदि देश के भीतर एवं बाहरी मामलों पर इनकी जरूरत पड़े तो सत्तारूढ़ दल में रहकर भी ये लोग शक में या विरोध में खड़े होकर टर्राने लगते हैं, फिर शुरू होता है घमासान और सदन में बहुमत के लिए एक-एक वोट की मारा-मारी और घूसखोरी। देश के लिए न्यूक्लियर डील में तो ऐसा ही हुआ था। पूरे देश ने देखा कि किस प्रकार देशहित के मामले पर राजनीतिक दलों ने और कुछ सदस्यों ने अपने रंग बदले, सरकार को आंखें दिखाईं और अब भी सौदेबाजी से बाज नहीं आ रहे हैं।

एक खास अपील आपसे है- आज देश को आपकी बहुत जरूरत है। आतंकवाद, जातिवाद, सांप्रदायिकता, फर्जी धर्मनिरपेक्षता, भ्रष्‍टाचार, मंदी और गरीबी, अपराध और बेकारी के विरुद्घ आपके एक-एक वोट की जरूरत है। इसके जरिए आप लोकसभा में राजनीतिक अस्थिरता को खत्म कर सकते हैं। अपने बच्चों के सुनहरे भविष्य के लिए ऐसी योजनाओं और वातावरण की उम्मीद कर सकते हैं जो उनके लिए सुरक्षा कवच का काम करेंगी जो उनके जीवन में अपने भविष्य, आपकी एवं देश की उम्मीदों को एक प्रगतिशील रूप देंगी। आपको एक ही काम करना है कि आप मतदान करने निकलें और उनके लिए मतदान करें जो आपको राग-द्वेष जाति विहीन भ्रष्टाचार विहीन और पूर्ण बहुमत की सरकार दे सकें। उन्हें नहीं, जो गले तक भ्रष्टाचार में डूबकर समाज और अपने प्रदेश को टुकड़े-टुकड़े कर उसे चौपट कर रहे हैं और कल देश का ही सौदा करने से भी नहीं हिचकिचाएंगे।
राजनीतिक दलों के झूंठे एजेंडों को खारिज कीजिए जो आपको लालच में फंसाते हों। उन वादों में मत उलझिए जो ये पूरे ही नहीं कर सकते हों। आप समझ सकते हैं कि इनमें से कई दल और कई नेता ऐसे हैं जो छद्मावरण ओढ़े हुए हैं और इनके कारनामे भरपूर नीचता और बेशर्मी से भरे हुए हैं। इनकी कार्यप्रणालियां आम आदमी को उजाड़ रही हैं। इनकी योजनाएं भी अपना लाभ-हानि देखकर बनती हैं। इनके गठजोड़ों में ऐसे कातिल और समाज और देश विरोधी तत्व शामिल हैं जिन्हें आप अपने करीब लाना भी पसंद नहीं करेंगे। जिनके मुख उजले और मन काले हैं। जो समाज में भी जहर घोले हुए हैं और जिन्‍हें केवल धन चाहिए, जिन्हें अपने खिलाफ चल रहे अपराधिक मुकदमे खत्‍म कराने और विघटन पैदा करने से मतलब है, वे देश चलाएंगे?
जरा सोचिए!
आपका एक वोट देश की आन-बान-शान और समृ‌द्घि का प्रतीक है। आपके वोट में ताकत है- उससे एक और एक मिलकर दो नहीं बल्कि ग्यारह की शक्ति पैदा कीजिए। आपके मतदान नहीं करने के कारण ही माफिया सरगना, भ्रष्‍टाचारी सांप्रदायिक और विघटनकारी चुनाव जीतते आ रहे हैं। विधान सभाएं और लोकसभा त्रिशंकु हो गई है। ऐसे सदन में आपके हितों की रक्षा नहीं हो सकती, क्‍योंकि जो चुनकर गए हैं, उनमें से कई का सहानुभूति संवेदनाओं समाज देश और दुनिया के बनने बिगड़ने से कोई मतलब नहीं है। आपके वोट नहीं देने से या मतदान का प्रतिशत कम रहने का सबसे ज्‍यादा लाभ ऐसे ही तत्‍वों को मिलता है। इस प्रकार का निर्वाचन, नगर प्रदेश देश और मानवता के लिए बहुत दुखदायी होता है, यह आपको नहीं भूलना चाहिए। याद रखिये कि आपके मतदान करने से विश्‍व समुदाय में अपने देश और जिम्‍मेदारियों के प्रति आपकी जागरुकता और लोकतंत्र में आस्था का पता चलता है। गैर मुल्‍क आपके लोकतंत्र की ताकत से डरते हैं और सम्मान करते हैं। जानते हैं कि भय ‌बिन प्रीत न होत गुंसाई।
आपने देखा? किस प्रकार से देश में विघटनकारी शक्तियां सक्रिय हैं। यहां कितनी वारदातों का जिक्र करें? कैसे-कैसे लोगों को राजनीतिक दल टिकट दे रहे हैं, नौजवानों की योग्य पीढ़ी क्यों राजनीति से विमुख होती जा रही है, क्यों सांप्रदायिक शक्तियां अपने मंसूबों में सफल हो जाती हैं, क्यों हम सुरक्षित नहीं है? हमारी माता-बहनें और हमारी जान-माल की सुरक्षा खतरे में है। देश में प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब देखने वाले अपने लिए कितनी बड़ी सुरक्षा से लैस हैं और आप? आपके परिजन, दोस्त और रिश्तेदारों के सकुशल घर लौटने की गारंटी नहीं है, किनके कारण? इनके, जिन्होंने गुंडों, लफंगों, अपराधियों और भ्रष्टाचारियों को अपने दल के टिकट और वोट बेचे हैं।

क्या आप इन्हें अपना प्रतिनिधि चुनेंगे? हम समझते हैं कि हरगिज नहीं।
वोट दीजिए, भारत के लिए, उसकी एक दलीय सरकार के लिए, देश की प्रगति के लिए और अपनी एवं अपनी पीढ़ी के लिए। नही तो वह आगे चलकर आपसे अनेक सवाल करेगी और यदि आपके पास उसके सवालों के समुचित उत्तर न हुए तो आप भी उतने ही जिम्मेदार होंगे जितना हम उनको समझते हैं, जिनके विरुद्ध मतदान करने की हम आपसे अपील कर रहे हैं। देश की समृद्धि एवं उसकी एकता अखंडता के लिए मतदान कर जातिवादी भ्रष्टाचारी शक्तियों को हतोत्साहित और परास्त करें। क्योंकि इसके लिए आपके एक-एक वोट में शक्ति है। मतदान के दिन घर मत बैठिए, उस दिन पिकनिक पर मत निकलिए। आइए, और अपनी बारी पर निर्भय होकर अपना वोट दीजिए!

दिनेश शर्मा

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गुरुवार, 12 मार्च 2009

Cyber Crime साइबर क्राइम

साइबर अपराधियों से रहें बचकर

किसी वेबसाइट पर खुद को रजिस्टर करने से पहले आमतौर पर कोई उपयोक्ता सम्बन्धित नियम-शर्तें पढ़ने की जहमत नहीं उठाता। यदि इनको गम्भीरता से पढ़ा जाए तो अधिकांश लोग रजिस्टर करने से बचेंगे। जैसे सोशल नेटवर्किंग साइट पर दर्ज खाता धारक के संदेश/स्क्रैप्स अपने विज्ञापनों में वह उपयोग कर सकती है। इन सन्देशों/स्क्रैप्स को वह साइट भविष्य में उपयोग के लिए सुरक्षित भी रख सकती है, भले ही उपयोक्ता उन्हें डिलीट कर चुका हो।

इण्टरनेट के बढ़ते उपयोग के साथ-साथ उसका दुरुपयोग करने वालों की संख्या में भी बढ़ौतरी हुई है। अपराधी और शरारती प्रवृति के लोग इण्टरनेट का उपयोग दूसरों की छवि खराब करने के अलावा धोखाधड़ी, ब्लैक मेलिंग, यौन उत्पीड़न, जानकारी का दुरुपयोग करने जैसे कार्यों में कर रहे हैं। आजकल नयी-नयी सोशल नेटवर्किंग साइट्स सामने आ रही हैं जहां समान रुचियों वाले लोग अपना समूह बनाते हैं। उपयोक्ता फोटो के अलावा तमाम जानकारी औरों के साथ बांटते हैं। मित्र बनाते हैं। संदेशों का आदान-प्रदान करते हैं। इधर-उधर की हांकते हैं। सच-झूठ बोलते हैं। यह पूरा कार्य मुफ्त सम्पादित होता है। सम्बन्धित वेबसाइट लोगों को यह मुफ्त सुविधा प्रदान करती है। ऐसी वेबसाइटें लोगों को जानकारी देने के लिए विभिन्न संचार माध्यमों से अपना प्रचार भी करती हैं ताकि अधिक से अधिक लोग उनकी ओर आकर्षित होकर अपना खाता खोलें। यह कार्य ई-मेल खाते और पास वर्ड से संचालित होता है। साइबर अपराधी इन साइटों से फोटो और विवरण या जानकारी की कॉपी करके उसे पोर्न साइट्स पर डाल देते हैं। किसी के भी चेहरे को किसी आपत्तिजनक मुद्रा वाले व्यक्ति की फोटो के ऊपर लगाकर अपलोड करना कोई कठिन काम नहीं है। इससे किसी को भी बड़ी आसानी से बदनाम किया जा सकता है। इस तरह के उदाहरण प्रायः सामने आते रहते हैं।

प्रसिद्ध फिल्म कलाकारों और अनेक जानीमानी हस्तियों के साथ ऐसा होता रहता है। यह शरारतभरा आपराधिक कार्य निरन्तर बढ़ रहा है। यह आईटी युग है जिसमें लगभग हर व्यक्ति किसी न किसी रूप में नयी तकनीक का उपयोग कर रहा है। नयी तकनीक के आगमन के साथ ही उसके दुरुपयोग के खतरे भी सामने आते हैं। कम्प्यूटरीकरण के इस दौर में साइबर अपराधियो की पौबारह हो गयी है। पुलिस भी इन पर काबू पाने को मशक्कत करती रहती है। सबसे जरूरी बात यह है कि कम्प्यूटर का हर उपयोक्ता स्वयं इस बारे में पूरी जानकारी रखे और सावधान रहें। प्रायः अपेक्षित सावधानी अपनाने की जानकारी के अभाव में लोगों को नुकसान उठाना पड़ता है। विशेष रूप से उत्साही युवा वर्ग को सचेत रहने की अधिक जरूरत है।

आजकल एटीएम का उपयोग लगभग हर वर्ग और आयु के लोग धड़ल्ले से कर रहे हैं। एटीएम से धन की निकासी आदि के समय विशेष सावधानी बरतने की जयरत होती है। आपके एटीएम के उपयोग में प्रयुक्त होने वाला गुप्त कोड या पास वर्ड जानने के पीछे भी सम्भव है कोई साइबर अपराधी लगा हुआ हो। इस काम के लिए हो सकता है एटीएम मशीन के आसपास कोई सूक्ष्म कैमरा लगा दिया गया हो जिससे आपकी गतिविधियों को 100-150 मीटर दूर अपने वाहन में बैठा अपराधी देख रहा हो। प्राप्त जानकारी का उपयोग वह आपके बैंक खाते का उपयोग अपने लाभ के लिए कर सकता है।

आजकल मोबाइल फोन का उपयोग असंख्य लोग कर रहे हैं। इसके सिम कार्ड की क्लोनिंग भी चलन में है। किसी मोबाइल के सिम कार्ड की क्लोनिंग करके उसका दुरुपयोग करने के साथ-साथ पुलिस को भी आसानी से चकमा दिया जा सकता है। आसानी से मिलने वाले मेमोरी कार्ड रीडर और एक सॉफ़्टवेयर की मदद से 1-2 नहीं 12 सिम कार्डों तक का डेटा कॉपी कर किसी एक खाली सिम कार्ड में ही फीड किया जा सकता है। इस तरह एक ही सिम कार्ड का उपयोग करते हुए 12 नम्बर तक एक के बाद एक उपयोग किये जा सकते हैं। उपयोक्ता चाहे तो कुछ सेकण्ड के अन्तराल में ही अपना फोन नम्बर कई बार बदल सकता है। एक ही आईएमआई यानी इण्टरनेशनल मोबाइल इक्विपमेंट आइडेंटिटी से उपयोग में लाए जा रहे नम्बरों के कारण पुलिस भी धोखा खा जाती है। मोबाइल क्लोनिंग और उसका दुरुपयोग निश्चय ही एक खतरनाक गतिविधि है। इण्टरनेट का उपयोग कर मोबाइल फोन पर मुफ्त एसएमएस भेजे जाने की सुविधा भी आजकल लोगों को हासिल है। यह सुविधा अनेक वेबसाइटें उपलब्ध करा रही हैं। इसका दुरुपयोग भी हो रहा है। बिना आपकी जानकारी के कोई भी कॉल या एसएमएस कर सकता है। हाल ही में दिल्ली में एक मोबाइल सेवा प्रदाता कम्पनी की ओर से मुफ्त कॉल और सेवाओं से सम्बन्धित एक संदेश मुझे मिला। सम्भव है यही सन्देश तमाम अन्य लोगों को भी मिला हो। शक होने पर जब सम्बन्धित कम्पनी से सम्पर्क किया गया तो मालूम हुआ कि ऐसा कोई सन्देश उस कम्पनी की ओर से नहीं भेजा गया है।
इसी तरह हो सकता है कि किसी कम्पनी के कस्टमर केयर विभाग से सन्देश आये कि आप अमुक चीज मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं। मुफ्त डाउनलोडिंग या गिफ्ट के चक्कर में आप खतरनाक वायरस भी प्राप्त कर सकते है जो आपके उपकरण को नुकसान पहुंचा सकता है। वायरस से मोबाइल के प्रभावित होते ही वेबसाइटों पर स्वतः सन्देश जाने शुरू हो जाते हैं। कुछ ही समय में आपके फोन की बकाया पड़ी धनराशि खत्म हो जाती है या पोस्ट पेड मोबाइल का बिल बहुत अधिक बढ़ जाता है। इसलिए जरूरी है कि मुफ्त के माल से बचकर रहें। छोटे-बड़े साइबर क्राइम के शिकार होने से जानकारी का उपयोग करते हुए बचने में ही समझदारी है।

कुछ सावधानियां-1. ई-मेल खाते में आई स्पैम मेल को कभी न खोलें, उसे तुरन्त डिलीट या नष्ट कर दें। 2. वेबसाइटों पर अपनी निजी जानकारी, पता, फोन नम्बर आदि और निजी संग्रह के फाटो सार्वजनिक करने से बचें। 3. फालतू अटैचमेन्ट और अनजान ई-मेल न खोलें। 4. किसी लिंक (यूआरएल) को ऐसे ही न खेलें अपितु उसक कॉपी करके नये ब्राउजर में ही खोलें। 5. किसी लिन्क, विशेष रूप से बैंकिंग साइट पर अपनी निजी गोपनीय जानकारी न भरें। 6. इन्टरनेट बैंकिंग के लिए शॉर्टकट कट का उपयोग न करें, सीधे बैंक की वेबसाइट पर पहुंचें। 7. अपने मोबाइल फोन के सिम कार्ड को किसी को, विशेष रूप से किसी अनजान व्यक्ति को थोड़े समय के लिए भी न सोंपें। फोन में खराबी आने पर मरम्मत को देते के समय भी विशेष रूप से सावधान रहें। 8. मोबाइल द्वारा मुफ्त की डाउनलोडिंग के प्रस्ताव को कभी स्वीकार कर जीपीआरएस खोलकर डाउन लोडिंग न करें। 9. फालतू सन्देशों का जमा न करें। 10. एटीएम का उपयोग करते समय भी सावधान रहें और अपना एटीएम सम्हालकर रखें।

विशेष- किसी वेबसाइट पर खुद को रजिस्टर करने से पहले आमतौर पर कोई उपयोक्ता सम्बन्धित नियम-शर्तें पढ़ने की जहमत नहीं उठाता। यदि इनको गम्भीरता से पढ़ा जाए तो अधिकांश लोग रजिस्टर करने से बचेंगे। जैसे सोशल नेटवर्किंग साइट पर दर्ज खाता धारक के संदेश/स्क्रैप्स अपने विज्ञापनों में वह उपयोग कर सकती है। इन सन्देशों/स्क्रैप्स को वह साइट भविष्य में उपयोग के लिए सुरक्षित भी रख सकती है, भले ही उपयोक्ता उन्हें डिलीट कर चुका हो। इसी तरह कई ऑनलाइन गेम हैं जिन्हें विभिन्न आयु वर्ग के लोग खेलना पसन्द करते हैं। खेलने के लिए उस साइट की सदस्यता जरूरी होती है और सदस्य बनने के लिए उपयोक्ता को रजिस्टर कराना पड़ता है। इसके लिए प्रायः उपयोक्ता साइट की छोटे-छाटे अक्षरों में छपी लम्बी-चैड़ी नियम-शर्तें पढ़ने से बचता है। खेल के दौरान कोई चीटिंग या धोखाधड़ी न करे इसलिए वेबसाइट की ओर से स्पाईवेयर भी बनाये गये हैं। ये स्पाईवेयर धड़ाक से स्वतः इन्स्टाल हो जाते हैं और इनका आइकॉन डेस्कटॉप पर स्थापित हो जाते हैं। इस तरह मुफ्त गेम खेलने का लालच उस वेबसाइट कम्पनी को अपने कम्प्यूटर में एक्सेस करने की अनुमति प्रदान कर देता है। इस तरह नुकसान होने की सम्भावना रहती है।
टी.सी. चन्दर/www.prabhasakshi.com

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