युवाउमंग में पढ़िए

गुरुवार, 12 मार्च 2009

Cyber Crime साइबर क्राइम

साइबर अपराधियों से रहें बचकर

किसी वेबसाइट पर खुद को रजिस्टर करने से पहले आमतौर पर कोई उपयोक्ता सम्बन्धित नियम-शर्तें पढ़ने की जहमत नहीं उठाता। यदि इनको गम्भीरता से पढ़ा जाए तो अधिकांश लोग रजिस्टर करने से बचेंगे। जैसे सोशल नेटवर्किंग साइट पर दर्ज खाता धारक के संदेश/स्क्रैप्स अपने विज्ञापनों में वह उपयोग कर सकती है। इन सन्देशों/स्क्रैप्स को वह साइट भविष्य में उपयोग के लिए सुरक्षित भी रख सकती है, भले ही उपयोक्ता उन्हें डिलीट कर चुका हो।

इण्टरनेट के बढ़ते उपयोग के साथ-साथ उसका दुरुपयोग करने वालों की संख्या में भी बढ़ौतरी हुई है। अपराधी और शरारती प्रवृति के लोग इण्टरनेट का उपयोग दूसरों की छवि खराब करने के अलावा धोखाधड़ी, ब्लैक मेलिंग, यौन उत्पीड़न, जानकारी का दुरुपयोग करने जैसे कार्यों में कर रहे हैं। आजकल नयी-नयी सोशल नेटवर्किंग साइट्स सामने आ रही हैं जहां समान रुचियों वाले लोग अपना समूह बनाते हैं। उपयोक्ता फोटो के अलावा तमाम जानकारी औरों के साथ बांटते हैं। मित्र बनाते हैं। संदेशों का आदान-प्रदान करते हैं। इधर-उधर की हांकते हैं। सच-झूठ बोलते हैं। यह पूरा कार्य मुफ्त सम्पादित होता है। सम्बन्धित वेबसाइट लोगों को यह मुफ्त सुविधा प्रदान करती है। ऐसी वेबसाइटें लोगों को जानकारी देने के लिए विभिन्न संचार माध्यमों से अपना प्रचार भी करती हैं ताकि अधिक से अधिक लोग उनकी ओर आकर्षित होकर अपना खाता खोलें। यह कार्य ई-मेल खाते और पास वर्ड से संचालित होता है। साइबर अपराधी इन साइटों से फोटो और विवरण या जानकारी की कॉपी करके उसे पोर्न साइट्स पर डाल देते हैं। किसी के भी चेहरे को किसी आपत्तिजनक मुद्रा वाले व्यक्ति की फोटो के ऊपर लगाकर अपलोड करना कोई कठिन काम नहीं है। इससे किसी को भी बड़ी आसानी से बदनाम किया जा सकता है। इस तरह के उदाहरण प्रायः सामने आते रहते हैं।

प्रसिद्ध फिल्म कलाकारों और अनेक जानीमानी हस्तियों के साथ ऐसा होता रहता है। यह शरारतभरा आपराधिक कार्य निरन्तर बढ़ रहा है। यह आईटी युग है जिसमें लगभग हर व्यक्ति किसी न किसी रूप में नयी तकनीक का उपयोग कर रहा है। नयी तकनीक के आगमन के साथ ही उसके दुरुपयोग के खतरे भी सामने आते हैं। कम्प्यूटरीकरण के इस दौर में साइबर अपराधियो की पौबारह हो गयी है। पुलिस भी इन पर काबू पाने को मशक्कत करती रहती है। सबसे जरूरी बात यह है कि कम्प्यूटर का हर उपयोक्ता स्वयं इस बारे में पूरी जानकारी रखे और सावधान रहें। प्रायः अपेक्षित सावधानी अपनाने की जानकारी के अभाव में लोगों को नुकसान उठाना पड़ता है। विशेष रूप से उत्साही युवा वर्ग को सचेत रहने की अधिक जरूरत है।

आजकल एटीएम का उपयोग लगभग हर वर्ग और आयु के लोग धड़ल्ले से कर रहे हैं। एटीएम से धन की निकासी आदि के समय विशेष सावधानी बरतने की जयरत होती है। आपके एटीएम के उपयोग में प्रयुक्त होने वाला गुप्त कोड या पास वर्ड जानने के पीछे भी सम्भव है कोई साइबर अपराधी लगा हुआ हो। इस काम के लिए हो सकता है एटीएम मशीन के आसपास कोई सूक्ष्म कैमरा लगा दिया गया हो जिससे आपकी गतिविधियों को 100-150 मीटर दूर अपने वाहन में बैठा अपराधी देख रहा हो। प्राप्त जानकारी का उपयोग वह आपके बैंक खाते का उपयोग अपने लाभ के लिए कर सकता है।

आजकल मोबाइल फोन का उपयोग असंख्य लोग कर रहे हैं। इसके सिम कार्ड की क्लोनिंग भी चलन में है। किसी मोबाइल के सिम कार्ड की क्लोनिंग करके उसका दुरुपयोग करने के साथ-साथ पुलिस को भी आसानी से चकमा दिया जा सकता है। आसानी से मिलने वाले मेमोरी कार्ड रीडर और एक सॉफ़्टवेयर की मदद से 1-2 नहीं 12 सिम कार्डों तक का डेटा कॉपी कर किसी एक खाली सिम कार्ड में ही फीड किया जा सकता है। इस तरह एक ही सिम कार्ड का उपयोग करते हुए 12 नम्बर तक एक के बाद एक उपयोग किये जा सकते हैं। उपयोक्ता चाहे तो कुछ सेकण्ड के अन्तराल में ही अपना फोन नम्बर कई बार बदल सकता है। एक ही आईएमआई यानी इण्टरनेशनल मोबाइल इक्विपमेंट आइडेंटिटी से उपयोग में लाए जा रहे नम्बरों के कारण पुलिस भी धोखा खा जाती है। मोबाइल क्लोनिंग और उसका दुरुपयोग निश्चय ही एक खतरनाक गतिविधि है। इण्टरनेट का उपयोग कर मोबाइल फोन पर मुफ्त एसएमएस भेजे जाने की सुविधा भी आजकल लोगों को हासिल है। यह सुविधा अनेक वेबसाइटें उपलब्ध करा रही हैं। इसका दुरुपयोग भी हो रहा है। बिना आपकी जानकारी के कोई भी कॉल या एसएमएस कर सकता है। हाल ही में दिल्ली में एक मोबाइल सेवा प्रदाता कम्पनी की ओर से मुफ्त कॉल और सेवाओं से सम्बन्धित एक संदेश मुझे मिला। सम्भव है यही सन्देश तमाम अन्य लोगों को भी मिला हो। शक होने पर जब सम्बन्धित कम्पनी से सम्पर्क किया गया तो मालूम हुआ कि ऐसा कोई सन्देश उस कम्पनी की ओर से नहीं भेजा गया है।
इसी तरह हो सकता है कि किसी कम्पनी के कस्टमर केयर विभाग से सन्देश आये कि आप अमुक चीज मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं। मुफ्त डाउनलोडिंग या गिफ्ट के चक्कर में आप खतरनाक वायरस भी प्राप्त कर सकते है जो आपके उपकरण को नुकसान पहुंचा सकता है। वायरस से मोबाइल के प्रभावित होते ही वेबसाइटों पर स्वतः सन्देश जाने शुरू हो जाते हैं। कुछ ही समय में आपके फोन की बकाया पड़ी धनराशि खत्म हो जाती है या पोस्ट पेड मोबाइल का बिल बहुत अधिक बढ़ जाता है। इसलिए जरूरी है कि मुफ्त के माल से बचकर रहें। छोटे-बड़े साइबर क्राइम के शिकार होने से जानकारी का उपयोग करते हुए बचने में ही समझदारी है।

कुछ सावधानियां-1. ई-मेल खाते में आई स्पैम मेल को कभी न खोलें, उसे तुरन्त डिलीट या नष्ट कर दें। 2. वेबसाइटों पर अपनी निजी जानकारी, पता, फोन नम्बर आदि और निजी संग्रह के फाटो सार्वजनिक करने से बचें। 3. फालतू अटैचमेन्ट और अनजान ई-मेल न खोलें। 4. किसी लिंक (यूआरएल) को ऐसे ही न खेलें अपितु उसक कॉपी करके नये ब्राउजर में ही खोलें। 5. किसी लिन्क, विशेष रूप से बैंकिंग साइट पर अपनी निजी गोपनीय जानकारी न भरें। 6. इन्टरनेट बैंकिंग के लिए शॉर्टकट कट का उपयोग न करें, सीधे बैंक की वेबसाइट पर पहुंचें। 7. अपने मोबाइल फोन के सिम कार्ड को किसी को, विशेष रूप से किसी अनजान व्यक्ति को थोड़े समय के लिए भी न सोंपें। फोन में खराबी आने पर मरम्मत को देते के समय भी विशेष रूप से सावधान रहें। 8. मोबाइल द्वारा मुफ्त की डाउनलोडिंग के प्रस्ताव को कभी स्वीकार कर जीपीआरएस खोलकर डाउन लोडिंग न करें। 9. फालतू सन्देशों का जमा न करें। 10. एटीएम का उपयोग करते समय भी सावधान रहें और अपना एटीएम सम्हालकर रखें।

विशेष- किसी वेबसाइट पर खुद को रजिस्टर करने से पहले आमतौर पर कोई उपयोक्ता सम्बन्धित नियम-शर्तें पढ़ने की जहमत नहीं उठाता। यदि इनको गम्भीरता से पढ़ा जाए तो अधिकांश लोग रजिस्टर करने से बचेंगे। जैसे सोशल नेटवर्किंग साइट पर दर्ज खाता धारक के संदेश/स्क्रैप्स अपने विज्ञापनों में वह उपयोग कर सकती है। इन सन्देशों/स्क्रैप्स को वह साइट भविष्य में उपयोग के लिए सुरक्षित भी रख सकती है, भले ही उपयोक्ता उन्हें डिलीट कर चुका हो। इसी तरह कई ऑनलाइन गेम हैं जिन्हें विभिन्न आयु वर्ग के लोग खेलना पसन्द करते हैं। खेलने के लिए उस साइट की सदस्यता जरूरी होती है और सदस्य बनने के लिए उपयोक्ता को रजिस्टर कराना पड़ता है। इसके लिए प्रायः उपयोक्ता साइट की छोटे-छाटे अक्षरों में छपी लम्बी-चैड़ी नियम-शर्तें पढ़ने से बचता है। खेल के दौरान कोई चीटिंग या धोखाधड़ी न करे इसलिए वेबसाइट की ओर से स्पाईवेयर भी बनाये गये हैं। ये स्पाईवेयर धड़ाक से स्वतः इन्स्टाल हो जाते हैं और इनका आइकॉन डेस्कटॉप पर स्थापित हो जाते हैं। इस तरह मुफ्त गेम खेलने का लालच उस वेबसाइट कम्पनी को अपने कम्प्यूटर में एक्सेस करने की अनुमति प्रदान कर देता है। इस तरह नुकसान होने की सम्भावना रहती है।
टी.सी. चन्दर/www.prabhasakshi.com

युवाउमंग