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शुक्रवार, 13 अगस्त 2010

संकल्प

संकल्प से पाएं सफलता
ईश्वर ने मनुष्य को बुद्धि और अनेकानेक संसाधनों के अलावा संकल्प करने की क्षमता भी प्रदान की है। संकल्प कर लेने के बाद अपने पिछले कार्यों, व्यवहार, अभ्यास, आदतों आदि पर स्वयं अपने आलोचक बनकर दृष्टि डालनी चाहिए। संकल्प कर्म के बिना व्यर्थ है। गलत ढंग से और बिना कार्य योजना के कर्म करते जाना भी व्यर्थ है। स्वयं अपने प्रति, अपने संकल्प के प्रति और अपने प्रयासों के प्रति ईमानदार रहना बेहद जरूरी है। 

हम अपने आसपास नजर घुमाएं तो बड़ी आसानी से जान जाएंगे कि ऐसे अनेक लोग हैं जिन्होंने अपने दृढ़ संकल्प के बल पर मनचाही सफलता प्राप्त की है। दुनिया का इतिहास दृढ़ निश्चय के बल पर सफलता पाने वालों के उदाहरणों से भरा हुआ है। बिना विचलित हुए दृढ़ संकल्प और कर्म कर अनगिनत लोगों ने आश्चर्यजनक सुपरिणाम हासिल किये हैं। किसी परेशानी, मुसीबत और बाधा से उनके कदम रुके नहीं। वे अपने संकल्प को ध्यान में रख जुटे रहे और सफल हुए।

सफल होने वाले व्यक्ति किसी और ग्रह के वासी या हाड़-मांस के अलावा किसी और चीज के बने नहीं होते। वे सिर्फ यह जानते थे कि दृढ़ संकल्प के बल पर ही अपना लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता हैं। यह भी महत्वपूर्ण है कि केवल दृढ़ संकल्प से काम चलने वाला नहीं है। लक्ष्य प्राप्ति के लिए निराशा से मुक्ति पाकर हर अनुकूल-प्रतिकूल स्थिति में अपना उत्साह बनाए रखना, समय का एक पल भी नष्ट न करना, परिश्रम से न घबराना, र्धर्य बनाए रखना, समुचित कार्ययोजना बनाकर अमल में लाना आदि पर ध्यान केन्द्रित करना आवश्यक है।

यदि आप किसी व्यक्ति की सफलता का रहस्य पूछें तो वह यही बताएगा कि उसने ठान लिया था कि वह ऐसा कर के या बन के रहेगा, चाहे कुछ भी हो जाए और इसके लिए चाहे कुछ भी करना पड़े। दुनिया की कोई शक्ति उसे विचलित नहीं कर सकती। किसी व्यक्ति को हो सकता है सफलता आसानी से या संयोगवश मिल गयी हो। ऐसा अपवाद स्वरूप ही हो सकता है। इस प्रकार के किसी संयोग का इन्तजार में भाग्य के भरोसे बैठ सफलता पाने की सोचना मूर्खता के सिवा कुछ और नहीं। हां, उपयुक्त अवसर को कभी छोड़ना नहीं चाहिए। इसकी पहचान अपने विवेक और दूरदृष्टि से की जा सकती है।

इच्छाशक्ति संकल्प जैसे बहुमूल्य सिक्के का दूसरा पहलू है। यह हमारे संकल्प को दृढ़ता प्रदान करती है। इसलिए अपनी इच्छाशक्ति को कभी कमजोर नहीं होने देना चाहिए। इससे हमें निराशा जैसी नकारात्मक स्थिति से भी छुटकारा मिलता है। ईश्वर ने मनुष्य को बुद्धि और अनेकानेक संसाधनों के अलावा संकल्प करने की क्षमता भी प्रदान की है। संकल्प कर लेने के बाद अपने पिछले कार्यों, व्यवहार, अभ्यास, आदतों आदि पर स्वयं अपने आलोचक बनकर दृष्टि डालनी चाहिए। संकल्प कर्म के बिना व्यर्थ है। गलत ढंग से और बिना कार्य योजना के कर्म करते जाना भी व्यर्थ है। स्वयं अपने प्रति, अपने संकल्प के प्रति और अपने प्रयासों के प्रति ईमानदार रहना बेहद जरूरी है।

शिक्षा और करियर ही नहीं व्यवहार व आदतों के मामले में भी संकल्प महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। संकल्प तथा कर्म से मिली सफलता किसी पैमाने से नापना व्यर्थ है। कोई सफलता छोटी या बड़ी नहीं। सफलता सफलता होती है और उसका अपना महत्व होता है। आवश्यक नहीं कि आप हर बार अपना संकल्प पूरा कर सफल होते चले जाएं। आज जो लोग हमें सफलता के शिखर पर बैठे दिखायी देते हैं वे ही जानते हैं कि वे कितनी बार असफल हुए हैं। पर असफताएं उन्हें विचलित नहीं कर सकीं। कुछ लोग, विशेष रूप से अनेक युवा थोड़ा असफल होने पर हिम्मत हार जाते हैं। ऐसे अनेक लोग नशे की शरण में चले जाते है और फिर अपनी कहानी औरों को सुनाते फिरते हैं। कोई उन्हें गम्भीरता से नहीं सुनता। अक्सर लोग मजाक ही उड़ाते हैं। नतीजा यह कि असफता से घबराने की जरूरत नहीं क्यों कि किसी व्यक्ति की बड़ी सफलता के पीछे अनेक छोटी-बड़ी असफलताएं हो सकती हैं जिनके बारे में प्रायः सभी लोग नहीं जान पाते हैं। असफल होने पर भी संकल्प, इच्छाशक्ति और सकारात्मक विचारों से फिर सक्रिय होकर अपना लक्ष्य पाया जा सकता है।

संकल्प के पीछे विचारों की भूमिका भी महत्वपूर्ण होती है। सकारात्मक, आशावादी, परोपकारी और अच्छे विचार राह से भटकने नहीं देते। जैसा हम बीज बोते हैं वैसी ही फसल हम काटते हैं। हमारा मस्तिष्क हमारे सभी  क्रियाकलापों को नियंत्रित करता है और हमारे विचारों के अनुसार ही मस्तिष्क सक्रिय होकर हमारे संकल्पों को पूरा करने की क्षमता पाता है। यह ध्यान रखना चाहिए कि हमारे मस्तिष्क के चेतन और अवचेतन दोनों ही भाग महत्वपूर्ण और उपयोगी हैं।  चेतन भाग विभिन्न सूचनाएं, संकेत, क्रियाकलाप आदि में से उपयोगी का चयन कर अवचेतन में भेज देता है। अवचेतन उपयोगी सूचना-संकेतों को स्मृति के रूप में संजोकर रखता है। किसी सूचना या जानकारी की आवश्यकता पड़ने पर ‘इच्छा’ का बटन दबते ही वह उपयुक्त विवरण उपलब्ध करा देता है। अवचेतन हर समय सक्रिय रहता है और विभिन्न समस्याओं के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

अपना लक्ष्य तय कर उसको पाने का दृढ़ संकल्प करें, विचार कर सही और सुव्यवस्थित  योजना बनाएं, आवश्यक संसाधन जुटाएं, पूरे उत्साह से जुट जाएं, छोटी-बड़ी असफलता से न घबराएं और न ही अपने कदम रोकें। अपनी कमियों पर विशेष ध्यान देते हुए सदा उन्हें सूझबूझ से दूर करने का प्रयास करते रहें। इस कार्य में भी अपनी संकल्प शक्ति का उपयोग करें।

© टी.सी चन्दर
 सौजन्य: प्रभासाक्षी
 

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